BRAHAMCHARYA GYAN


BRAHAMCHARYA GYAN



क्या [वाल्मीकि] ने बिना ब्रह्मचर्य के ऋषि बने थे ?
क्या [भीष्म पितामह] बिना ब्रह्मचर्य के इच्छा मृत्यु का वरदान पा गए ? [हिटलर] ने भी तो शादी नहीं की और एक अदना सा आदमी दुनिया को हिला गया | [दारा सिंह] क्या बिना ब्रह्मचर्य के इतने बड़े पहलवान बने ? [स्वामी रामदेव] जी एक छोटे से किसान के बेटे ब्रह्मचर्य के बल पर ही तो इतना आगे बड़े हैं | [महऋषि महेश योगी] भी तो ब्रह्मचर्य के बल पर ही आगे बड़े | जिसको भी सफलता चाहिए आध्यात्म में उसे ब्रह्मचर्य का पालन तो अति आवश्यक रूप से करना पड़ेगा | क्यूंकि योग सूत्र के यम में ब्रह्मचर्य पहले ही आ जाता है | यही तो आधार हैं आध्यात्मिकता मी उन्नती का | [ओशो रजनीश], [स्वामी राम तीर्थ], [स्वामी विवेकानंद], [स्वामी दयानंद], [तुलसीदास] यह सब साधारण लोग थे किन्तु ब्रह्मचर्ये के बल पर आध्यात्मिकता में कितने ऊपर गए यह सारा जगत जानता है | ब्रह्मचर्य के पालन की बात नहीं होती तो कितने ही इस आध्यात्म में सफल हो जाते | किन्तु केवल मात्र ब्रह्मचर्य के आभाव में वह सफलता से वंचित रह गए | आध्यात्मिकता में केवल एक बात चलती है वह है ब्रह्मचर्य | यहाँ पर अच्छे विचार-बुरे विचार इनका कोई महत्व नहीं है | महत्व केवल ब्रह्मचर्य का है | [बिना ब्रह्मचर्य के कोई भी विचार या कोई भी काम चाहे वह कितना ही अच्छा हो उन्नति प्राप्त नहीं करता ह]ै | ब्रह्मचर्य वह है की इसका आनंद वही ले सकता है जो इसका पालन करता है | इसका आनंद दूसरा नहीं ले सकता है | इसलिए कोई भी आध्यात्मिक साधना हो उसमे ब्रह्मचर्य को प्रधानता है | साधू, योगी, संन्यासी, वैरागी, उदासी, पादरी, सूफी, दरवेश, लामा, भिक्षु, जैन मुनि, इसाई संन्यासी, तिब्बती लामा, शओलिन मोंक, और भी कोई भी आध्यामिकता वाले हैं वह सबसे पहले ब्रह्मचर्य के पालन पर बल देते हैं | और जहाँ पर ब्रह्मचर्य ख़त्म हो जाता है तो उसका बुरा पतन होता है चाहे वह कितन ही ऊँचा गया हो वह बुरी तरह नीचे गिरता है | जैसे विश्वामित्र, इनका पतन हुआ | बिना ब्रह्मचर्य के आध्यामिकता में सफलता पाना तो कभी नहीं हो सकता है 

Piyush

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