इंटरनेट का गलत उपयोग

ब्रह्मचर्य के लिए इन्टरनेट, खतरा या मददगार?
 जो लोग ब्रह्मचर्य को ही अपना लक्ष्य मानते हैं, वे अच्छी तरह से जानते हैं कि इन्टरनेट इसके लिए कितना बड़ा खतरा पेश करता है। हमारा उद्देश्य इस लेख के जरिये यह जानना है कि इसे किस तरह इस तथ्य के बावज़ूद अपने विकास में मददगार के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
 इन्टरनेट एक अन्तर्राष्ट्रीय तथा साझा चलने वाला नेटवर्क है, जो प्राइवेट और सरकारों के कंप्यूटरों और सर्वरों के जुड़ने से बना है।
 जाहिर है इसपर किसी एक सरकार का प्रभुत्व संभव नहीं है और है भी नहीं। और इसपर देश-विदेश की कई सारी संस्कृतियों और समाजों, मान्यताओं और विचारधाराओं के पाठ्य स्वच्छन्द विचरण करते मिल जाएँगे। ऐसे में यह तो संभव नहीं की हम इसकी वेबसाइटों पर श्लीलता के, शिष्टता के या संस्कृति के कुछ मानक जबरन लागू कर सकें।
 ऐसे में जो युवजन इन्टरनेट पर अपना ज्ञान बढ़ाने या स्वस्थ मनोरंजन के लिए कदम रखते हैं कुछ वेबसाइटों द्वारा उन पर भी बार-बार असभ्य चित्रों और शब्दावली का चारा फेंका जाता है, और जाहिर है कई लोग फँस भी जाते हैं। मुझे यहाँ जो फँसना ही चाहते हैं उनके फँसने पर रोना नहीं रोना है। न ही मुझे यहाँ यह कहना है कि यह भारत का दुर्भाग्य है, आदि आदि। (दुर्भाग्य-सौभाग्य तो समय-चक्र के खेल हैं। और जो फँसना ही चाहते हैं, उन्हें उसका परिणाम भी इसी जन्म में कम या ज्यादा देखना ही होता है।) हम यहाँ उन पुरुषसिंहों और वीरों की बात कर रहे हैं जो अपनी जीवनशक्ति का संरक्षण कर उसे महानतम कार्यों में लगाना चाहते हैं और जिनकी आनन्द की परिकल्पना छोटी नहीं बल्कि बहुत विशाल है।
 इन्टरनेट पर कार्य करना ऐसे युवकों के लिए कभी-कभी चुनौती बन जाता है, खासकर तब जबकि अकेले या अलग बैठकर कार्य करना पड़े। ऐसा क्या किया जाये कि इन्टरनेट के खतरों से सफलतापूर्वक निपटा जा सके?
 पहली बात तो यह है कि अगर इन्टरनेट पर कार्य करना ही पड़ रहा है तो इसके अच्छे पक्षों का चिन्तन ज्यादा करें और बुरे पक्षों का जितना हो सके कम से कम करें (हालाँकि खतरों के प्रति सावधानियाँ कम कदापि न करें)। अच्छे पक्ष जैसे- ज्ञानवर्धक वेबसाइटें, चरित्र-व्यक्तित्व निखारने वाले ब्लॉग, विभिन्न प्रकार के ट्यूटोरियल - यकीनन इन्टरनेट पर इन सबकी भी भरमार है, और कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी पाश्चात्य क्यों न हो अन्ततः दिमाग के बल पर ही जीता है, रोजी रोटी कमाता है। इसीलिए इन्टरनेट पर इन ज्ञानवर्धक सामग्रियों के दिन सदा ही अच्छे रहेंगे।
 इन्टरनेट का उपयोग किसी की मौजूदगी में ही करें तो अच्छा है। लेकिन यदि अकेले में करना पड़े तो ये तरीके अपना सकते हैं-
 अपने कंप्यूटर के डेस्कटॉप पर किसी महापुरुष का (जिसकी महानता में आपका दृढ़ विश्वास है), या अपने परिवार के प्रियजनों का चित्र लगाएँ (इस दूसरी विधि से आपको अपनी जिम्मेदारी का अहसास रहेगा)। या फिर ऐसा चित्र अपने सामने रखें। साथ ही मन में यह विचार भी दृढ़ कर लें कि "यदि इस बैठक के बाद मैं सुरक्षित बाहर निकला तो शरीर का बहुत बड़ा फ़ायदा होगा, जबकि क्षणिक सुख में उलझने से केवल उतने समय के बाद पछतावा ही पछतावा होगा, और कसूरवार केवल समय का एक छोटा सा पल होगा, जिसे मैं फिर विपरीत दिशा में नहीं चला सकता हूँ, (बेचारा लाचार मैं)। लेकिन वही मैं, ठीक अभी इस समय का राजा हूँ , और इसे अपनी मनपसंद दिशा में ले जाने की पूरी कमान म रे पास है। तो क्यों न लंबे समय के सुख के लिए छोटे सुख से लड़ा जाये उसे हरा दिया जाये।" (आपके शब्द कुछ और हो सकते हैं, जैसा आपको असरदार लगे)।
 अपने ब्राउसर के कुछ टैब में ब्रह्मचर्य युक्त विचारों की वेबसाइटें खोलकर रखें और बीच-बीच में उन्हें पढ़ते रहें। यह बहुत प्रभावी तरीका है। विचारों की काट विचारों से ही होती है, और सद्विचारों से बड़ा बल आजतक दुनियाँ में देखा नहीं गया है।
 यहाँ तक कि ब्रह्मचर्य युक्त विचारों वाली वेबसाइटों की खोज भी कर सकते हैं (लेकिन सावधानी से)। यकीन मानिए संगति में बड़ा बल होता है। जब हम यह बात पहले ही जानते हैं कि स्वाभाविक रूप से अधिकांश मनुष्य भोगों में ही सार देखते हैं, तो फिर हमें यह भी मानना होगा कि ब्रह्मचर्यव्रत धारने वालों के लिए दिनभर का कार्यव्यापार वास्तव में उसे हल्की संगति ही उपलब्ध कराता है, और इसके बावजूद कुछ लोग ब्रह्मचर्य में सफल होते हैं तो यह उनकी महानता ही है।
 कुल मिलाकर कथ्य यह है कि ब्रह्मचर्य के पक्षधर लेख आप पढ़ते रहें तो आपका मन आपको धोखा नहीं देगा, क्योंकि तब आपके मन को पता चल जायेगा कि यह केवल आपका नहीं दुनियाँ के कई-कई लोगों का अनुभव है कि ब्रह्मचर्य से महान आनन्द मिलता है - यह एक प्रभावी बल होगा जो आपको ब्रह्मचर्य पर दृढ़ रखेगा।
 यदि साइबर कैफ़े पर जा सर्फ़िंग करने जा रहे हैं तो प्रयास करें कि उस कंप्यूटर पर बैठें जो दूसरों की निगाह में हो, इससे सर्फ़िंग नियन्त्रित दिशा में रहेगी।
 और भी कई सारे उपाय हैं और विवेकवान व्यक्ति खुद भी थोड़ा सोचकर उपाय ढूँढ सकते हैं- जैसे अकेले घर में सर्फ़िंग करने पर मुख्यद्वार खुला रखकर सर्फ़िंग करने से नियंत्रण बना रहेगा (लेकिन घर की सुरक्षा का भी ध्यान रखें  ).
 इस तरह हम देखते हैं कि इस इन्टरनेट को जो ब्रह्मचर्य के लिए खतरा पेश करता है, सही तरीके से उपयोग किया जाये तो सही विचारों के संचय में मददगार बनाया जा सकता है। हमारे सामने चुनौतियाँ तो आती ही रहेंगी, हमारा कार्य है बुद्धि और प्रज्ञा का उपयोग करके उनसे बाहर निकलना। अगर हम खुद काम-वासना से पीछे हटेंगे तो वह नष्ट हो ही जायेगी, उसमें इतना दम नहीं कि उसके बाद भी हमें हाँक सके, वास्तव में काम-वासना को दम आप ही दे रहे हैं। इसलिए दम फिर भी आपमें ही ज्यादा है। कहा भी है-
 संकल्पात् जायते कामः, सेव्यमानो विवर्धते।
 यदा प्राज्ञो निवर्तते तदा सद्यः प्रणश्यति।।
 अर्थ- संकल्प (यानी हमारे खुद के सोचने) से ही काम-वासना उत्पन्न होती है, तथा हमारे द्वारा सेवन किये जाने से ही बढ़ती है। जब प्राज्ञ व्यक्ति इससे पीछे हट जाता है तो तुरंत ही यह काम-वासना नष्ट हो जाती है।
 शुभकामनाएँ...!

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